Vastu Tips : कन्या पूजन करते समय वास्तु के नियम, हमेशा बना रहेगा माता का आशीर्वाद…….
Vastu Tips : कन्या पूजन के लिए वास्तु नियमों के अनुसार सही शुभ स्थान, दिशा और कलश का चयन करना सर्वोत्तम होता है। जिससे पूजा स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
कन्या पूजन हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान नौ कन्याओं की पूजा करने और उन्हें भोजन कराने के लिए किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कन्या पूजन करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।
Vastu Tips : कन्या पूजन के लिए शुभ स्थान का चयन, पूजा कक्ष को वास्तु के अनुसार व्यवस्थित करना और पूजा स्थल की दिशा ये सभी महत्वपूर्ण हैं। वास्तु एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भविष्य के घर, निर्माण और वास्तुकला के लिए उपयोगी है। यह विज्ञान स्थान, दिशा, प्राकृतिक परिस्थितियों और मानव जीवन से संबंधित वास्तविकता पर आधारित शास्त्रीय कानूनों का अध्ययन करता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार, किसी स्थान का उपयोग और निर्माण उसके आसपास के वातावरण जैसे प्राकृतिक रूप से बने पहाड़ों, नदियों और वातावरण के अनुरूप होना चाहिए। वास्तु का मुख्य अनुप्रयोग घरों, मंदिरों, व्यावसायिक भवनों और शहरी निर्माण में होता है।
दिशा: कन्या पूजन उत्तर या पूर्व दिशा में करना चाहिए। ये दिशाएं शुभ मानी जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करती हैं। लड़कियों को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। यह दिशा देवी लक्ष्मी का प्रतीक है और धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
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Vastu Tips : पूजा करने वाले को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। यह दिशा सूर्य देव का प्रतीक है और स्वास्थ्य और ऊर्जा का आशीर्वाद देती है। आप घर की उत्तर या पूर्व दिशा में खुली जगह का चयन कर सकते हैं। लड़कियों के बैठने के लिए पूर्व दिशा में स्टूल या ओसारी रख सकते हैं। पूजा करने के लिए चौकी या मंडप की पश्चिम दिशा में बैठ सकते हैं।
कलश: कलश को उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। यह दिशा भगवान कुबेर का प्रतीक है और धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। कलश में जल, गंगाजल, पान, सुपारी, सिक्के और अक्षत डालना चाहिए। यह कलश को पवित्र करता है और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
Vastu Tips : कलश के मुख पर आम के पत्ते रखने चाहिए. आम के पत्ते देवी लक्ष्मी का प्रतीक हैं और धन और समृद्धि का आशीर्वाद लाते हैं। घर की उत्तर दिशा में कलश स्थापित किया जा सकता है। कलश में जल, गंगाजल, पान, सुपारी, सिक्के और अक्षत रख सकते हैं। कलश के मुख पर आम के पत्ते रख सकते हैं.
मंडप : कन्याओं के लिए एक मंडप का निर्माण कराना चाहिए। इस मंडप को देवी लक्ष्मी का निवास स्थान माना जाता है। मंडप स्वच्छ एवं सुंदर बनाना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा आती है। मंडप को फूलों और दीपों से सजाना चाहिए।
Vastu Tips : फूल और दीपक देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं। मंडप को रंग-बिरंगे कपड़ों और फूलों से सजाया जा सकता है और मंडप में दीपक जलाए जा सकते हैं। यहां के मंडप में देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जा सकती है।
भोजन : कन्याओं को सात्विक भोजन कराना चाहिए। सात्विक भोजन मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। भोजन में चावल, दाल, सब्जी, रोटी, मिठाई और फल शामिल होने चाहिए। इस भोजन से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और कन्याओं को आशीर्वाद देती हैं। कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए। दक्षिणा कन्याओं के सम्मान और उन्हें आशीर्वाद देने का प्रतीक है।
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